My Poems
Thursday, February 25, 2016
Thursday, June 11, 2015
वो रात भी क्या हसीन थी...
वो रात भी क्या हसीन थी...
हम तो आप में और आप तो हमारी बाहों में खोये हुए ,
हमारा आपको देखना और आपका शर्माना , हाय रब्बा !
वो रात भी क्या हसीन थी...
हमारी बाहों में आकर आप प्यार से सो गए ,
क्या कहु आपको होश हमारे उड़ गए .
आपकी सांसो की लय हमारी सांसों से मिल रही थी ,
आपके होठों की हसी से जान हमारी जा रही थी... सच कहते है यारों
वो रात भी क्या हसीन थी...
आँखे बंद किये आपके चेहरे पर भी प्यारी सी हसी थी
आपको देखते देखते हम आप में खोने लगे , क्या पता क्या आप भी हमारे होने लगे?
क्या कहे अब हम भी ,
वो रात भी क्या हसीन थी...
आप , हम और वो हसीन रात जवाँ थी
आप को देखते देखते वो रात भी बीत गयी
शमा जलाएं आप में ये परवाना जल गया
अरे वाह ! अब आपने भी कह दिया ,
वो रात भी क्या हसीन थी...
-सागा
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